आप जानते है की पुराने ज़माने में बैंक्स वगैरह तो होती नहीं थी, इसलिए लोग अपनी जिन्दगी भर की कमाई जमीन में दबा कर रख देते थे. परन्तु इसको और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए उनके पास भी आज की ही तरह हाईटेक प्राचीन तकनीके होती थी. तकनीक से जुड़े एक मजेदार प्रयोग के किस्से का हम आगे जिक्र करने वाले है.
कैसे सुरक्षित करते थे पुराने ज़माने में लोग अपने धन को
बताया जाता है कि उस समय के लोग पारलौकिक
शक्तियों का ज्ञान रखते थे और उनको नियंत्रित करने की क्षमताये भी रखते थे.
आपने ये भी कई बार सुना होगा की फलानि जगह पर एक खजाना (khajana) था और उस
पर नागो का या यक्षो का पहरा था. और कई बार आपने सुना होगा की फलाने
व्यक्ति ने जमीन में गडा हुआ खजाना (khajana) निकाला था और इसके बाद उसकी
उन्नती की जगह बर्बादी की कहानी चालू हो जाती है.
इस तरह पुराने ज़माने में लोग अपने धन को
जमीन में छुपाते थे और उन्हें मंत्रो के द्वारा सुरक्षित और संरक्षित करते
थे की कोई अधिकृत व्यक्ति ही उसका उपयोग कर सके. इन खजानो को अभिमंत्रित
कंरने का ज्ञान और क्षमताये उस समय के लोगो में हुआ करती थी.
क्या महाभारत और रामायण काल में भी थी इसी शक्तियाँ
आपने
महाभारत कालीन घटोत्कच नाम के योद्धा के बारे में तो सुना होगा, जो कि भीम
का पुत्र भी था. कहते है की वो बहूत सी मायावी शक्तियों का मालिक था.
महाभारत के युद्ध में उसने अपनी मायावी ताकतों से क़यामत ला दी थी. ऐसे ही
रामायण के ज़माने में रावण के पुत्रो के पास भी इस तरह की आलोकिक शक्तियां
थी जो बहुत तपस्या कर कर वे प्राप्त किया करते थे. हमारे पुराने ग्रंथो में
आज भी इस तरह के तंत्रों और मंत्रो के उपयोग का जिक्र मिलता है. इसलिये
हमें मानना पड़ेगा की इस तरह की पारलौकिक ताकत इस दुनिया में होती थी और लोग
प्रयोग किया करते थे. और शायद आज भी होती हो.
क्या आज भी है ऐसे प्रयोगों के उदहारण देश में ? छतरपुर के राजा के खजाने (khajane) का क्या किस्सा है?
आज भी देश में कई स्थान ऐसे हैं जिनको
जानने के लिए अगर इतिहास के पन्नो को टटोला जाए तो वहां से एक से एक रहस्य
निकलकर सामने आते हैं. ऐसा ही एक स्थान मध्यप्रदेश के छतरपुर में है. जो
कुबेर के खजाने (khajane) के नाम से प्रसिद्द है. आस पास के लोग इस किले से
जुडी लक्ष्मी बाई की कहानी सुनाते है. ये किला छतरपुर जिले में खोंप नामक
स्थान पर स्थित है. लोगो का कहना हैं कि अंग्रेजों से युद्ध के दौरान
लक्ष्मी बाई ने खोंप के महाराजा से मदद मांगी थी. राजा ने बहादुरी से लड़ते
हुऐ इस लड़ाई में अपने प्राण त्याग दिये थे.
राजा
की मृत्यु के बाद अंग्रेजों ने बर्बरता पूर्वक खोंप के किले पर चड़ाई कर
दी. किले पर हमला करते वक़्त रानी अकेली पड गयी थी. अंग्रेजों के आतंक से डर
कर उसने खुद को कही छुपा लिया. लेकिन उसे वहां के खजाने (khajane) की
चिंता थी जो की राजा ने वहां की प्रजा के हितो के लिये संचित किया था. उस
खजाने (khajane) के बचाव के लिए रानी ने उस खजाने (khajane) को श्राप में
बांध दिया और कहा की जो कोई भी इस खजाने (khajane) को हासिल करेगा वो
मृत्यु को प्राप्त होगा.
क्या रानी ने तिलस्म की रचना की थी ?
ऐसा भी कहा जाता है की रानी ने वास्त्तव
में खजाने (khajane) की सुरक्षा के लिए तिलस्म की रचना कर दी थी, ये ऐसा
कुछ सिस्टम होता था जिसमे प्रवेश के लिए पहेलियो का हल करते हुवे अनेक
खतरनाक मुश्किलो से गुजरना पड़ता था. प्रवेश करने वाले लोगो को पहली को
सुलझाना पड़ता था जिन्हें सुलझाना आता था वे एक एक कर कर मुश्किलों से बहार
निकलते हूए आगे बड़ते जाते थे और जो पहेली जहाँ नहीं समझ पाते थे उनकी मौत
हो जाती थी.
मतलब इस तरह का सिस्टम होता था की जो पहले
से सारी पहेलियो को सुलझाना जानता था या तो वह या फिर कोई बहूत ही योग्य
व्यक्ति इन तिलस्मो से निकल पाता था.
तो इस तरह से पुरानी तकनीके भी कोई कम
महत्वपूर्ण नहीं होती थी. आज के वैज्ञानिको को उन पुरातन तकनीको और ज्ञान
पर रिसर्च करना चाहिये हो सकता है की उस ज्ञान को फिर से अविष्कार कर कर हम
संसार की भलाई का मार्ग खोज सके.
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